Monday, April 8, 2024

मैथिली किस्सा – ‘गोनू झा’ के स्वर्ग से बजाहट

मैथिली किस्सा (गोनू झा के स्वर्ग से बजाहट): गोनू झा एकटा राजाक दरबारी रहथि। ओ बहुत चतुर छलथि आओर राजाक राज-काज मे मदद करैत छलथि। राजा गोनू झा क बहु मानैत छलथिन्ह संगहि आओर लोक सेहो खूब मानैत छलैन्ह।

मैथिली किस्सा – ‘गोनू झा’ के स्वर्ग से बजाहट

तीन मासक बाद राज्यक सभ लोक गांव के पुवारी कातक श्मशान पर पहुँचल जे आई गोनू झा स्वर्ग जैता। सब प्रजा दुःखी छल, राजा सेहो ओतय पहुँच कानि रहल छला। परन्तु गोनू झा के मुख कनिको मलीन न‍ई भेल छल ओ हँसिते माँटिक ढेरि पर बैस गेला आओर पुआर सँ हुनका झाँपि देल गेल एवं आगि लगा देल गेल । ई देखि राजा आओर सभ दरबारी कानि रहल छलथि ओतहि हजमा प्रसन्‍न भऽ रहल छल।

एहि घटनाक छः मास बीति गेल छल, गोनू झा एखन तक लौट कय घर नहि आयल छलथि। ई सोचि राजा बहुत दुःखी रहैत छलाह आओर गोनू झा बिना दरबारो मे मन न‍ई लगैत छलैन्ह। एक दिन राजा दरबार मे गोनू झाक चर्च करैत रहथि त ओतबहि मे एक दरबारी सूचना देलक जे गोनू झा आबि रहल छथि

दरबार में लोक आश्‍चर्य सँ चकित रहथि जे एहि खबर के झूठ मानी वा सत्य। ओतबहि मे गोनू झा अबेत देखाय लगलाह। गोनू झा पहिने सँ बेसी मोटा गेल छलथि। किछु लोक हुनका भूत बूझि भागि रहल छल, लेकिन राजा स्तम्भित छलथि।

गोनू झा आबि राजा के प्रणाम केलखिन आओर एकटा पुर्जा राजा के दय देलखिन। किछु कालक बाद राजा कहलखिन- गोनू झा ! की अहाँ सचमुच जीवित छी? गोनू झा हँसिकय कहलखिन- महाराज एखन तक तऽ जीवित छी। ई देखि हजमाक प्राण सुखि गेल आओर ओ डरे पसीना सँ तर-बतर भऽ रहल छल।

गोनू झा कहलखिन- महाराज ! हम स्वर्ग सँ आबि रहल छी। अहाँक पिता ओतय बहुत खुश छथि। परंतु हुनका हजामत कराबय मे तकलीफ छैन्ह, केश-दाढ़ी सभ बढ़ि गेल छैन्ह, ताहि लेल ओ हजाम के भेजय वास्ते ई पुर्जा भेजने छथि। एहि पुर्जा मे एयह बात लीखि पठेने छथि।

गोनू झाक बात सुनतहि हजमा भागय लागल। लेकिन सिपाही ओकरा ध पकड़लक। आब त हजमाक दशा बिगड़ि गेल, सब दरबारी आश्‍चर्य सँ अवाक्‌ छल। राजा कहलखिन- ओहि बेर जखन गोनू झा जाय छलथि त तू बढ़ि-चढ़ि कय बाजेत छलें त एखन डर किये होयत छ‍उ?

हजमा देखलक जे आब पोल खोलय पड़त, नहि त मारल जायब। तें ओ थरथराईत बाजल-सरकार हमरा क्षमा करू। गोनू झाक स्वर्ग बजाब वला पत्र हम लिखने छलहु! स्वर्ग सँ कोनो पत्र नहि आयल छल। गोनू झा कोनो जादू-टोना जनेत छथि तें आगि सँ बचि गेला, परंतु हम त जरि कय मरि जायब।

आब तँ राजा आश्‍चर्य एवं क्रोध सँ लाल भय गेला आओर गोनू झा के पुछलखिन की बात अछि सच-सच कहू। गोनू झा कहलखिन- महाराज ओहि पत्र के देखिते हम बूझि गेल छलहुँ जे हमरा संगे कियो चक्रचालि खेल रहल अछि। तें अपना बचय के उपाय सोचि स्वर्ग गेनाई स्वीकार केने छलहुँ।

तीन मासक समय लय क हम ओहि माँटिक ढेरी सँ अपना घर तक सुरंग बना लेने छलहुँ आओर जखन हमरा पुआर सँ झाँपि देलक त हम सुरंगक रस्ते अपना घर पहूँच गेलहुँ। ओमहर सब बुझलक जे आब गोनू झा जरि कय मरि गेला आओर हमर दुश्मन सभ खुशी मनाबय लागल छल। एमहर हमरा गुप्त रूप सँ पता लागल जे ई सब पूरा हजमाक षडयंत्र छल।

ओना इ सब बिना प्रमाण के कहित‍उँ तऽ अहां लोकनि के फूसि लागैत तें प्रमाणक संग अहाँ सब के बतेलहुँ। राजा आओर सब दरबारी गोनू झा के बुद्धि पर दंग छलाह। ओतहि हजमा के कठोर दण्ड भेटल। संगहि गोनू झा के काफी इनाम भेटलैन्ह

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